Tuesday, November 3, 2015

Sexual Health : an introduction in Hindi



Sexual Health : an introduction in Hindi

Author: Dr. Kuldeep Singh Chauhan
MD (Ayurveda)
Consultant Ayurveda Physician, Marma therapist and Psychotherapist

Ayurjeevanam Sewa Samiti, Rampur



प्रकृति ने सभी कार्य को ठीक ढंग से पूरा करने के लिए किसी न किसी साधन की व्यवस्था की है जिसके द्वारा हम उस कार्य को पूरा करते हैं। इनमें से कुछ कार्य तो ऐसे होते हैं जो प्रकृति के अनुसार अपने आप चलते रहते हैं जैसे- वातावरण में परिवर्तन होना, दिन-रात होना आदि। लेकिन इसके अतिरिक्त पृथ्वी पर स्त्री-पुरुष के जीवन को को बचाने के लिए उनके शरीर में यौनांगों तथा जननेन्द्रियों की रचना की है। इसके अतिरिक्त भी स्त्री-पुरुष के शरीर में कुछ ऐसे अंग होते हैं जिनके बिना वे जी नहीं सकते हैं जैसे- हम आंखों से देखते हैं, कानों से सुनते हैं और पैरों से चलते हैं। ठीक इसी प्रकार से स्त्री-पुरुष के वंशों में वृद्धि के लिए भी प्रकृति ने उनके शरीर में यौनांगों तथा जननेन्द्रियों की रचना की है। जहां तक अंगों का परिचय तथा उनके महत्व का सवाल है, प्रत्येक स्त्री-पुरुष को इन अंगों को ठीक प्रकार से जानना अति आवश्यक है। आज भी बहुत से ऐसे स्त्री-पुरुष जिनको अपने साथी के पूरे अंगों के बारे में ठीक प्रकार से ज्ञान नहीं है। इस कारण से वे संभोग क्रिया के समय में इन अंगों का ठीक प्रकार से उपयोग नहीं कर पाते हैं जिसके कारण से वे संभोग क्रिया के समय पूरी तरह से आनन्द नहीं ले पाते और कभी-कभी इसका भंयकर परिणाम भी भोगना पड़ता है।
सेक्स क्रिया का पूरी तरह से आन्नद लेने के लिए सभी स्त्री-पुरुष को यह जान लेना चाहिए कि यह क्रिया करने के लिए कौन-कौन से अंगों की आवश्यकता पड़ती है। स्त्री-पुरुष के बहुत से ऐसे अंग होते हैं जो एक-दूसरे से मिलते जुलते हैं। जैसे कि आंख, नाक, मुंह, कान, गुर्दे, आमाशय, मस्तिष्क तथा सिर आदि। लेकिन यहां पर हम आपको यह बताना चाहेंगे कि स्त्री-पुरुषों के सेक्स अंग अलग-अलग होते हैं। इन अंगों में होने वाले इस प्रकार के भिन्नता के कारण से स्त्री-पुरुष की अलग-अलग पहंचान हो पाती है। इसलिए यह आवश्यक है की युवावस्था में ही स्त्री-पुरुषों को इन अंगों के बारे में जानकारी हो जानी चाहिए। बहुत से वैज्ञानिकों का तो यह कहना है कि युवावस्था में ही सेक्स के इन अंगों के बारे में ठीक प्रकार से जानकारी न होने के कारण से ही आगे चलकर स्त्री-पुरुष को सेक्स संबंधित मानसिक तथा शारीरिक रोगों का सामना करना पड़ता है।

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